एक ही तो अस्त्र है नारी के रुठन को
कौं रीत उपजाई प्रेम भाव टूटन को
रुठने मनाने के परिहास सौ काहे डरयौ रह्यौ।
कैतैऊ उपाय काहे खोये बाय समझावन को ,''तनु ''
कौं रीत उपजाई प्रेम भाव टूटन को
रुठने मनाने के परिहास सौ काहे डरयौ रह्यौ।
कैतैऊ उपाय काहे खोये बाय समझावन को ,''तनु ''
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