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Sunday, July 13, 2014

एक ही तो अस्त्र है नारी के रुठन को 
कौं  रीत उपजाई प्रेम भाव टूटन को
रुठने मनाने के परिहास सौ काहे डरयौ रह्यौ।
कैतैऊ उपाय काहे खोये बाय समझावन को ,''तनु ''

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