व्यथित मन रोती बिलखती गंगा करती है यह गान,
कल - कल इसकी लगती जैसे रोता हो कोई श्वान,
मत कचरा बहाओ इसमें रख लो थोड़ा ध्यान !!!
तन मन दोनों निर्मल करती अपनी ये गंगा महान ...... ''तनु''
कल - कल इसकी लगती जैसे रोता हो कोई श्वान,
मत कचरा बहाओ इसमें रख लो थोड़ा ध्यान !!!
तन मन दोनों निर्मल करती अपनी ये गंगा महान ...... ''तनु''
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