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Wednesday, July 16, 2014

हायकु …………

बात ही बात,
नहीं हैं अनजान
 आज की रात

आस है टूटी
अनगिन सवाल!!
किस्मत रूठी

गया न खाली
दुआओं का असर!!
रूठे न माली

कर्ज का भार,
मजबूरी का दर्द,
 बुरे आसार !

तू रख लाज,
इतनी सी अरज,
संवार काज.....


ठूंठ को पात,
सावनी  बरसात!
भीगे हैं गात.……………।








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