बादल रुई के टुकड़े से फर फर उड़ते हो मटके - मटके !
चुराई धरा से वाष्प की बूंदें भारी हो अटके - भटके !!
तन के काले हो, मतवाले हो, जग के पालनहारे हो !!!
बरसा भी दो जो लाये हो क्यों दिखाते हो लटके - झटके !....... तनुजा ''तनु ''
चुराई धरा से वाष्प की बूंदें भारी हो अटके - भटके !!
तन के काले हो, मतवाले हो, जग के पालनहारे हो !!!
बरसा भी दो जो लाये हो क्यों दिखाते हो लटके - झटके !....... तनुजा ''तनु ''
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