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Sunday, July 13, 2014

बादल रुई के टुकड़े से फर फर उड़ते हो मटके - मटके ! 
चुराई धरा से वाष्प की बूंदें भारी हो  अटके - भटके !!
तन के काले हो,  मतवाले हो, जग के पालनहारे हो !!!
बरसा भी दो जो लाये हो क्यों दिखाते हो लटके - झटके !....... तनुजा ''तनु ''

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