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Tuesday, July 22, 2014

सांस क्यों है रुकी रुकी सी पत्ते भी हैं बेदम से,
आकाश बना श्रीहीन सा सूरज के छुप जाने से ,
अचला भी कर रही अनुनय मनुहार बादलों से ,
बरसो मन की बातें खोलो  बरसो चाहे बेमन से। ......''तनु ''...

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