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Thursday, July 10, 2014

हाथ उठा आज के   रब से ये मांग लूँ ,
राहे रस्त मैं रहूं ऐसी मुहब्बते नज़र चाहिए !

छुपाये चेहरा आते हैं, कुछ मुस्कुराए आते हैं,
झुकें नज़रें न मेरी ऐसी सीरते दौलत चाहिए !

डरते क्यों हो ? जब नेक नीयत रहो ,
नेक काम होते है..... नहीं ऐसा के मुद्दतें चाहिए !

उनकी चाहतें बहुत,…  चाहने वाले बहुत,
मुस्कुरा के पनाह में ले मुझे ऐसी खिदमत चाहिए !

मैं काफ़िर नहीं, मेरी सीरत में है दम ,
इश्क देदे मुझे ऐसी बेइंतहा मुहब्बत चाहिए !

जी शोरोगुल से अब घबरा गया है "तनु",
इश्क का घर या चमन ऐसा दारुल अमां चाहिए ! ''तनु ''

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