हौसले आसमान से नहीं रहे मंज़िल भी है दूर !
पलकों से ख्वाब गिरकर क्यों हो गए है चूर !!
रात अँधेरी है फलक पे सितारे भी नहीं दिखते !
हमने चाहा था महताब रौशन हो पुरनूर !… ''तनु ''
पलकों से ख्वाब गिरकर क्यों हो गए है चूर !!
रात अँधेरी है फलक पे सितारे भी नहीं दिखते !
हमने चाहा था महताब रौशन हो पुरनूर !… ''तनु ''
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