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Tuesday, July 15, 2014

ये कौन कहाँ तक आया मन हर्षित जलधि सा सरसाया ,
उदधि की उद्दाम पीड़ा        तोड़ शांत लहर सा लहराया !
रहो अब बेचैनी टूटे अंतस मन की बातें फूटे !!!
कितने दिन, कितने बरस, यूँ मन मरीचिका सा झुठलाया !"तनु "

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