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Wednesday, July 2, 2014

पहुंच गयी पाती   सृजन की मित्रों के पास !
घच घच ऐसे चर जाते जैसे पौष्टिक घास !!
जैसे पौष्टिक घास करते नित मंथन जुगाली,
लाइक कुछ कॉमेंट्स करते कुछ घूमते खाली,
मेरे मन कामना यही बस मैं लिखती जाऊं !
कोई सुने या ना सुने मैं अपने गीत सुनाऊँ !!''तनु "

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