बुतक़दे मैं हैं चिराग क्यूं रौशन ,
गर तुम कहीं हो तो सामने आओ।
साज जो टूट गया वो अब बजे कैसे ,
जाहिद हूँ मैं मेरी बंदगी को न झुठलाओ।
जिद न देखो तूफा की कहर में है जां ,
नाखुदा न हो तुम लंगर न उठाओ।
अभी चार दिन ही का तो दोस्ताना है ,
कोई मतलब की बात उनको न बताओ।
दिल पे अन्धेरा है और रूखे रौशन है ,
खुदा न हो यहाँ कोई अहरमन तो मनाओ ।
जमीन ओ अर्श पे था जिनका दबदबा कायम ,
सभी फानी यहां कोई कामिल रहरव को बुलाओ। ………"तनु"…
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