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Saturday, September 30, 2017

आते कई सिर.... ..




काटता  हूँ कई ??
फिर उग उग 
आते कई सिर.... .. 

संयम नियम की 
सारी  योजनाएँ  
हो जाती विफल 
आलस्य में घिर .... 

उठा नहीं पाता 
किसी भी दिन 
कभी सूरज को मैं 
कल ? शायद फिर 

मन से वचन से 
कर्म से भी मलिन 
क्यों नहीं रह पाता ??
मैं कभी स्थिर ... 

जिव्हा नासिका 
दृष्टि क्यों मेरे ??
कहने में नहीं मानों 
दूर जाएंगे तिर। ... 

पग मेरेअन्यायी हैं 
वहीँ हैं जाते 
जहां न जाना 
कितने रहे अधीर  ???

तुम हारे दस 
हम एक भी नहीं 
जतन से संभलते 
फिर पड़ जाते गिर !!.. 

रुकता आवागमन ??
नए पात तभी 
हैं आते जब 
पुराने जाते खिर ... 

काटता हूँ कई 
फिर उग उग 
आते कई सिर.. .. ''तनु ''








Wednesday, September 27, 2017

नवसंवत्सर ऐसा हो



सिर्फ जीने की चाह न हो 
किसी लब पर आह न हो 
शुभ नव संवत्सर हो सदैव 
दीन दुखी की कराह न हो 

चलो मरुभूमि सरसाएँ 
अँधियारो में दीप जलाएँ 
मंगलकारी नव वर्ष हो 
सत्काम संकल्प कर जाएँ 

देशी पहनो देशी खाओ
मातृभूमि पर जान लुटाओ 
प्रेम मन्त्र है नए साल का 
आओ मिल इसे निभाओ 

शुभ चिंतक बन सँवारो 
चरैवेति से कर्म निखारो 
श्रांत क्लांत होकर न बैठो 
नित शुभ शुभ को उचारो 

उपकारी हो विद्वान बने 
यशस्वी और विनीत बने 
नवसंवत्सर सुरभित हो जाए 
सृष्टि उपवन के पुष्प बने ,,,,,'' तनु ''

हर बहन का सपना यूँ -- छोटा सा ही होता है !!!
पिता भाई के साये -----  सोया सा ही होता है !!!
जुनून उसी का होता है पूरा करने के लिए ,,,,, 
वरना हर ख्वाब उसका खोया सा ही होता है …''तनु''  


संसार की हर बहना यमुना रानी का रूप !!!
करती नेह की छाया कितनी कड़ी हो धूप !!!  
जग में सदा पावन है भाई बहन का नाता ,,,,
ईश्वर का प्यार बरसे इस पर ना हो अरूप …''तनु ''





कुछ लोगों की देहभाषा में इतना अधिक अभिनय होता है कि मुझे लगता है;काश ये रंगमंच पर सक्रिय होते तो देश को एक महान अभिनेता मिल जाता।
आज ही आत्मीय सखा  ने एक सुन्दर समस भेजा है जो कहता है "सत्य अत्यंत सरल है;हम उसे समझाकर नाहक कठिन बनाते हैं। देहभाषा और वाणी में अभिनय का अतिरेक भी सत्य का की स्थापना को कमज़ोर करता है।


क्षमा प्रार्थी  !!!!
नहीं हूँ मैं उनका ,
जो पीड़ित हैं उस दोष के,
जो है उच्चारण का !
जो है  वर्तनी का !
ख़ुशी है.......  
इस बात की . 
कि ,
आजकल … 
मैंने इस प्रकार की , 
गलतियों पर  ,
नज़र ! ध्यान  !! कान !!! देना बंद कर दिया है......... 
क्योंकि ,  
ऐसा करने वाले,
बीमार !
अवसादग्रस्त !!
चिढचिढे  !!! की श्रेणी में ……
शामिल किये जा रहे हैं………… 
मैं हूँ  !  अत्यंत  आनंदित !! 
प्रमुदित खुश !!!   तनुजा  ''तनु ''

धुँआ …


धर्म में ये कैसी --धुँए की बास
कूपमण्डूकों को  कुँए की आस
अगर तगर ना भावे इनको
राजनीति बनी जुए की ख़ास

गुज़रा लम्हा यूँ , धुँआ धुँआ हुआ,

गम और ख़ुशी का था छुआ हुआ !
वक्त आज़ाद पंछी उड़ा उड़ गया,
हर कोई कहे ----  यहाँ जुआ हुआ !!!''तनु'' 

जादू की पोटली में--- धुँए का बम

छोटी सी ओखली में ,कुँए का भ्रम
मन पर हो काबू इच्छाशक्ति प्रबल
है अंगद का पांव हिलादे जो हो दम

क्या जानों धुँए में--- क्या छुपा छुपा 

खंज़र है ------ सीने में जो घुपा घुपा 
जलते मंजर, विधवा की चीख 
न बोला ना सुना सब       चुपा चुपा। ''तनु'' 

हुदहुद


कौन है ये हुदहुद जो तोड़फोड़ करे
हम  है  ये बुदबुद जो जोड़तोड़ करें
हम ही हम हैं यहाँ हमारी ही तूती है
कौन है दौड़ दौड़ जो हाड़तोड़  करे  .... ''तनु ''

गौरैया





पहले कभी घरों में दिखती थी गौरैया ,
अब भी कहीं घरों में दिखती है गौरैया !!
सीमेंट टावरों के जंगल बढ़ जाने से ,
शायद ही अब कहीं दिखेगी गौरैया !!तनुजा ''तनु''

Tuesday, September 26, 2017

तुम पुकारो गीत सुनाएगी ज़मी ;



तुम पुकारो गीत सुनाएगी ज़मी ;
तुम गुनगुनाओ मीत बनाएगी ज़मी !
फूलों की खुशबु झरनों का शोर भी , ,,
तुम सँवारो जीत जतायेगी ज़मी !!... ''तनु ''

कोई कह गया ;





उस ज़मी है चाँद  कोई कह गया ;
हूँ सोच कर हैरान कोई कह गया !

दूर है जाना और आबला पा हूँ मैं ;
उड़ परिंदों सा ये  कोई कह गया !!

मरहले कितने गिनोगे चलते हुए ;
सामने ही मंज़िल कोई कह गया 

नेकियाँ कितनी रही दरिया दिल में ;
थी डूबने की चाह  कोई कह गया !!

जिसने तपने की हमेशा ठान ली ;
वही तो सूरज है ये कोई कह गया !!.'' तनु ''

Sunday, September 24, 2017

कैसा देश दे रहे !.





पैरहन बिन खुद सबको गणवेश दे रहे;
अनगिन गुरूजी हमको सन्देश  दे रहे !

 गुड़ से करे परहेज और खाये गुलगुले ;
संयम नियम धारो जग को उपदेश दे रहे !

खो गयी हैं बुलबुलें रोता है ये चमन ;
फैला के जाल कैसा खग को परिवेश दे रहे!

लूटते है सरेआम और गुनाह से बरी ;
क्यों हम खुदारा ठग को दरवेश दे रहे !

''तनु ''अमिय गटक हलाहल रहे बाँटते;
सींचना विष का क्यों ठठ को देश दे रहे !. ''तनु''








Friday, September 22, 2017

कान्हा का दुख



कान्ह के आँसू आँख ढल्यो ;
मन भीतर भीतर माय गल्यो! 
तू क्यों सुध भूल गयो अपनी , ,,
कौन सो दुःख मन माय पल्यो !! 

सार की ओर न कोई  बढ़े ;

असार की सोर ओढ़े  पड़े !
वासना में रहे मलिन मना , ,,
माटी  में  काहे नाहिं गड़े !!
उपासना सार भूल पल्यो ,
यही जान आँसू आँख ढल्यो 
 मन भीतर भीतर माय गल्यो !!

कभी दण्ड के बल राज चले ;

अब तो के उदण्ड राज चले !
सभी  रीति नीति की बलि चढ़ी   , ,,
क्यों दाह जलन की खाज चले !!
जन वैभव जाल माय रल्यो, 
यही जान आँसू आँख ढल्यो 
मन भीतर भीतर माय गल्यो !!

कब खोय गयी सुख की छहिया;

घर रोय रही गैया बछिया !
अब कातर मन की कौन सुने , ,,
कब कौन गहे उनकी बहिया !!
उर  पीड़ा से गिरिधर  जल्यो,
यही जान आँसू आँख ढल्यो ,,.. 
मन भीतर भीतर माय गल्यो !!

गोपियाँ बिरज की रोवत हैं ;

अँसुवन की माल पिरोवत हैं !
मैया बेटी बहना के दुख , ,,
सब नयनन  मूंदी सोवत हैं !!
 भाई  कैसो भाई  छल्यो ,
यही जान आँसू आँख ढल्यो ,,.. 
मन भीतर भीतर माय गल्यो !!

दुख आय पड़े तो याद करे;
 सुख माहि  समय बरबाद करे !
कुछ नाम जपो मेरा दिल से  , ,,
जब कृष्ण कृष्ण दिल नाद करे  ,
सुख धाम सदा मेरो फल्यो 
यही जान आँसू आँख ढल्यो ,,..
 मन भीतर भीतर माय गल्यो !!... ''तनु ''

बिटिया !





 होंठ जब खोलती बिटिया !
शहद रस घोलती बिटिया  !!

माँ पापा बहना और भैया  !
ऐसा सरस बोलती बिटिया  !! 

जग से जोड़ कर चलती !
दिलो में डोलती बिटिया  !!

चिड़िया सी चहकती है !
खग कल्लोल सी बिटिया  !! 

दो घरों की ये रानी है !
बहुत अनमोल सी बिटिया  !!,,, ''तनु''

Thursday, September 21, 2017

मुसाफिर हूँ,




मुसाफिर हूँ,  सफ़र से कैसे अधीर हो जाऊं;
थका बहुत हूँ,   नहीं दिलग़ीर हो जाऊं !

सुब्ह से शब तलक समुन्दर भी नहीं यकसा ;

मनो उछलता सोचे तीर हो जाऊं !

नहीं दुआ में कम पड़ते तस्बीह के मोती ;              
लिए ग़ुज़ारिश झोली,  फ़क़ीर हो जाऊं !


ख़त्म पलों  हो जाए उस दोस्ती का क्या ; 

लम्हों हिसाब तो  लो मैं ज़हीर हो जाऊं !

क़र्ज़ हुई ज़िंदगी जीवन रहा भटकता सा ;

किश्त चुका दूँ साँसों की तस्वीर हो जाऊं!!


किसी किताब में लिखे हर्फों जैसा ;
ख़ुदा लिखे और मैं तहरीर हो जाऊं !!

अहा !! अभी ज़िंदगी में रौनक़ें हैं बहुत ;
ख़ुदा देखे और मैं नज़ीर हो जाऊं .!!..''तनु'' 




Wednesday, September 20, 2017

बंजर हो गए





श्रद्धा से सींचे नहीं दिल बंजर हो गए ;                       
कालिमा छा गयी काले मंज़र हो गए !
आस्था औ विश्वास की दुनिया है कहाँ , 
पीठ पीछे छुरियाँ आगे खंज़र हो गए ,,,,,,,,,,,,,,,''तनु ''

Tuesday, September 19, 2017

किताब में रख लो






किताब में रख लो गुलाब हो जाऊंगा ;
तुम्हारे सवाल का जवाब हो जाऊंगा !!

किताब -ए -दिल पे लिखो छुपा भी लो 
अजी इन्ही पलकों ख्वाब हो जाऊंगा !!

कहीं सभी लम्हे भी साथ जो छोड़ गए ;
गिरते अश्कों का   हिसाब हो जाऊंगा !!

जख्म कितने है जान नहीं पाओगे ;
जख्म खारों के गुलाब हो जाऊंगा !!

तुम्हे दुआ का तरीका अगर नहीं कोई ;
इबादतों में इश्क की सवाब हो जाऊंगा !!.. ''तनु ''

एक मोती ,,गुलाब हो जाऊंगा ;





किताब में रख लो गुलाब हो जाऊंगा ;

तुम्हारे सवाल का जवाब हो जाऊंगा ! 
तुम्हे दुआ का तरीका अगर नहीं कोई, ,,,
इबादत-ए -इश्क में सवाब हो जाऊंगा !!,,,.. ''तनु ''

Monday, September 18, 2017

हिंदी म्हारी,





घणी पुराणी हिंदी म्हारी, अंदाज देख ले ;
रची बसी है आशा सारी, एजाज़ देख ले!

जदि वात करां ईकीं,   दीपक भी जले है ;
राग दीपक तानसेन की, आवाज़ देख ले! 

सब भाषा से लाड करे सबका साथ चले;
तू भी उड़  विंका साथे, परवाज देख ले!

सागर सरीखो पेट ईको, समाए सब ईमें ;
भोली घणी ईंके इश्क को आगाज़ देख ले! 

बड़ी अदा सजाया राखे कहानी गीत ने ;
तू शान से उठाये जा ईंका नाज़ देख ले! 

चाँद सितारा फूल बेलड़ी बात करे सबकी;
लाडीजी को  चूड़लो खनके साज देख ले !

शुरू करे जो ककहरो फेर कदी नई छोड़े ;
एक ''तनु''  एक तू है और जाँबाज़ देख ले !... ''तनु ''



Sunday, September 17, 2017

आवे हिचकी!




वायरो वाजे जी म्हने आवे हिचकी!
जंगल लागे घर म्हने आवे हिचकी!!

 आंख्यां री झील तो लबालब भरी !
आंसुड़ा छलके म्हने आवे हिचकी!!

फूल बागाँ था कदी थी बहार भी !
फूल खोवाणा म्हने आवे हिचकी !!

आखि दुनिया जाणे लागे जी सूनी !
जाणे भगवान नी म्हने आवे हिचकी !!

याद ने होश नी तो कस्तर मने !
जीव ने साता नी म्हने आवे हिचकी !!

टकटकी लागी जोवे वाट बारणा !
रात जौवै  वाट म्हने आवे हिचकी!!... ''तनु ''

Saturday, September 16, 2017

भूलता है




खुद से मिलना भूलता है आदमी !
अपना ठिकाना भूलता है आदमी !!

 दोस्ती दामन वफ़ा और बंदगी !
खोकर खजाना भूलता है आदमी !!   

गुलों  के रंगों में  भटकता रहा !
क्यों महकना भूलता है आदमी !! 

वो तुझे अब याद करते ही नहीं ! 
इसी तरह तो  भूलता है आदमी !! 

चेहरा कोई तो दिखा देगा कभी !
तू आइना क्यों  भूलता है आदमी!!,... ''तनु ''



बोलती हिंदी !!




 होंठ जब खोलती हिंदी !
शहद रस घोलती हिंदी !!

आपकी भी हो जायेगी !
ऐसी सरल बोलती हिंदी !! 

जग से कटने नहीं देती ! 
दिलो में डोलती हिंदी !!

शब्द निर्झर से बह रहे !
खग कल्लोल सी हिंदी !! 

अज्ञ से ज्ञानी बनाती  !
बहुत अनमोल सी हिंदी !!,,, ''तनु''

Wednesday, September 13, 2017

जीव रा गबोरा





आपरा साथे म्हारी     बणी भी नी ;
वात असी कदी थां से ठणी भी नी !

मरु ने तो चाव घणों थो मेह रो ;
आज सुदी खबर  मिली भी नी !

 पाका घणा  नेह रा ताना बाना ;
अणि में पैबंद कदी लगी भी नी !!

चाल्या भी तो  उगमणे चाल्या ;
 चाँद री वठे आमदणी भी नी !!

सगळी कड्यां तोड़ दी आत्मा री; 
कठे टाँगूं हिवड़ो, वलंगणी भी नी !!

थें धरती रो बिस्वास मति तोड़जो ;
अम्बर जसी छतरी बणी भी नी ! 

''तनु'' विछावणों सोरो विजणा री हवा ;
आत्मा ने साता असी नागफणी भी नी !!....  ''तनु ''


कल्ब





उसमें मुझमें कभी बनी ही नहीं ;
बात ऐसी कभी ठनी ही नहीं !

ढूँढता है सहरा घना बादल ;

आजतक उसकी ख़बर मिली ही नहीं !
              
प्यार का ताना बाना पक्का था ;
इसमें पैबंद कभी लगी ही नहीं !

 जान आफताब पर छिडकना क्यों ??
 चाँद की वहाँ आमदनी ही नहीं !

रख जमीं का पैमान खुदा मेरे ;
आसमां सी जबीं बनी ही नहीं !

तोड़ कड़ियाँ जमीर की जीयूँ ??
टाँग दूँ कल्ब वो अलगनी ही नहीं !

खुश्बुएँ बिखरी है हवाओं ''तनु'';

सुकून -ए -दिल को नागफनी ही नहीं  !!  ''तनु ''

Tuesday, September 12, 2017

तुम







ऋतुराज को संग ले कर 
भुलाये अवसाद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!


वेणी में गुंथे फूल बहुत
चाहते हैं मुस्कुराना
ये सौम्य से नयन दीप
अधरों का ताना बाना
ले किरणों की पाँखियाँ
तुम छुपाये आल्हाद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!

नयन बने मेरे निर्धन
तुम सृष्टि का सृजन धन
नित नित कृपापात्र रहे 
तेरे प्रेम का भिक्षुक मन
मीठी चितवन ड़ाल मुझे
आलोक दिव्य से लाद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!

विधु चाँदनी लगे खोटी
मकरंद मन्मथ से घोटी
लो तारा गण भी बुझ गए
यामिनी थी कितनी छोटी
अब सपने थे पहरे दार 
 खोकर तुम विषाद चली 
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!

सौरभ कैसा हरषाया 
लतिकायें सब झूम उठी 
मदिर श्वास मंद चाल है 
पात सृष्टि भी लूम उठी 
स्वप्नलोक के फूल सजाये 
मन में ले उन्माद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!... ''तनु''

Monday, September 11, 2017

टांग अड़ाई ;





 नभ के किये सितारे फीके,        बादलो ने टांग अड़ाई ;

 क्षितिज की रेख मलिन हो गयी, रजनी ने रंगत जमाई !
 बादल शम्पा करे उत्पात,     घुमड़ घुमड़ कर पूरी रात, ,,
 अंधियारों को नहला धुला,   नव किरण ने ली अंगड़ाई !!.. ''तनु''


छूने नवगीत ;





नन्हे  सपन को चला छूने नवगीत ;
बूँदों के दर्पण जब छलक गयी प्रीत ! 
डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खोया मनमीत !! 

नन्हे से सपने को छूने चला नवगीत ; 
बूँदों के दर्पण जब छलक गयी प्रीत !
डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खो गया मनमीत !! 

चाँद का आवास ;




मेरी हथेली में दीप नहीं ,  चाँद का आवास ;
थिरकती ललनाएँ ,  अप्रतिम रूप का लास !
उर्मियों को खोजता ये चुपके से आ गिरा, ,,
पूछता है ?? मैं इंदु से दूर या इंदु के पास !!.. ''तनु ''

आई तम तुषार की रात !






बिखरा पड़ा क्षत विक्षत गात ,
कहाँ खो गया मधुमय प्रात ;
जहाँ मधुघट भरते थे निर्झर, 
आई तम तुषार की रात ! 

ममता माँ की आहत है ;
कम्पित अस्थिर चाहत है, 
धोती यादों की चादर , ,,   
मन में मलिन मलानत है !    
करलो मुझसे दो तुम बात !!
आई तम तुषार की रात , ,,

 ढूँढूँ लाल तुम कहाँ गए ;   
 दृग कितने अश्रु बहा गए,
कैसा फैला उलझन जाल, ,, 
अब अवसाद हम जहाँ गए !
तूफां का है  दीप से घात !! 
आई तम तुषार की रात , ,,

 वेदना में मौन है आहुति ;
 पीर मेरी किससे अछूती ,
  रोता साँसों का संगीत !
 काश रह जाती मैं निपूती ,
  कैसा तरु हूँ मैं बिन पात !!
 आई तम तुषार की रात , ,,

रुद्ध हृदय पट खोले कौन ;
मम्मी मम्मी बोले कौन !
मूक पथिक बन सारे देखें ,
जग सारा विस्मय से मौन !
सहन करूँ मैं ये आघात !!
आई तम तुषार की रात , .. ''तनु ''


             







Saturday, September 9, 2017

नाला रई गया ,,,


चालतां चालतां 

नदियाँ कठे अब तो नाला रई गया ;

अणसुण्या अब तो 'नाला' रई गया !

उफती सड़ांध बीमारी रो घर;

डसि रिया नाग काला रई गया !

सरकारी धन  दिखावा का कागद ;
काम कट नी टालमटाला रई गया !

याद वा  पुराणा दनां ने करे है ; 
सुखई गी पाणी रा लाला रई गया !

चाल्या है सगरा बैतरणी रा पारे ;

डूब्यो धरम करमां रा चाला रई गया !

थारी रवानी ने निजरा ही लागी ;

सारा बुरी निजरां वाला रई गया  !!.... ''तनु''




Friday, September 8, 2017

उड़ता रहा मन





पाँव में बेड़ियाँ थी 
हाथ हथकडियाँ 
और बगुलों की पाँत सा
 उड़ता रहा मन !

गीत गाती बाँसुरी थी
गीत कितने गा चुकी थी 
आज कंठ अवरुद्ध था 
लय अब तो टूटता था 
और भौंरों सा गाता 
गुणता रहा मन !

किसको बाँहों में कसूँ 
 गीत मैं क्योंकर रचूँ 
आज सलाखों बीच मैंहूँ 
धुंध और कीच में हूँ 
और सूना पन सजा 
सुनता रहा मन ! 

चाँद भी दिखता नहीं 
नीलाभ नभ रुचता नहीं 
एक साँसों की कड़ी है 
मनवा में उलझन बड़ी है 
और अनहद नाद से 
झूमता रहा मन !

कनक पिंजर मोह टूटा 
सृजन सिंचित गीत रूठा 
दृष्टि का आकाश भीगा
 प्राणों का मधुमास रीता 
और आँसू के खटोले  
झूलता रहा मन !,,..''तनु''





Thursday, September 7, 2017



सागर सी गहराइयाँ , उनका लेखन सार ! 
 जिनके कर में लेखनी , गर्व करे हर बार !!... ''तनु ''    

नदी


 कहाँ नदी अब   नाले रह गए है;
सुनकर अनसुने नाले रह गए हैं!

उफनती सड़ांध बीमारी का घर;
डसते हैं नाग काले रह गए हैं!

सारा धन खर्चा दिखावे में होता;
काम सफाई के टाले रह गए हैं !

याद ये पुराने दिनों को करती है;
जल गयी, जल के लाले रह गए हैं!

दामन में आकर दुआएँ हैं करते;
वही हाथ कचरा डाले रह गए है!

जमीर बेचा ईमान नियामतें बेचीं;
बेईमान, मरे पानी वाले रह गए हैं!

तुम्हारी रवानी को नजर ही लगी ;
कि सारे बुरी नजर वाले रह गए हैं !.... ''तनु''



कलम






 चल अब कलम को मना लूँ ;
   मील का पत्थर तो हटा लूँ !

बहुत राह तकते सूखे सफहे ;
कलम को मसि तो डुबा लूँ !

भावनाएँ जगने में देर है ;
रोती हुई बुलबुलें मना लूँ !

आँच ज़रा और बढ़ा दीजिये ;
दाने हैं कच्चे कुछ तो गला लूँ !

झूठ भारी बहुत कहे मीज़ान ;
झूठे सच का कैसे फैसला लूँ !

 कलम गीत  कलम ही गाये ;
 ये नश्तर की नोकें गला लूँ !... ''तनु''



एक मोती, ,,


भौंरों की गुनगुन है क्वार की बयार में ;
तितलियाँ रंग लाईं हैं शरद के हार में !
हरसिंगार भी अनकहे झरते चले गए , ,,
झूमकर नाचेगा दिल मौसमी बहार में !!.. ''तनु''

Wednesday, September 6, 2017


एक मोती , ,,



अरुण और वरुण में था गहरा अलगाव;
कभी छेड़खानी और कभी था बहलाव !
अभिनन्दित सावन में तितलियों का नाच, ,,
किरण बादल बूँद औ इंद्रधनुषी बदलाव !!... ''तनु''