बिखरा पड़ा क्षत विक्षत गात ,
कहाँ खो गया मधुमय प्रात ;
जहाँ मधुघट भरते थे निर्झर,
आई तम तुषार की रात !
ममता माँ की आहत है ;
कम्पित अस्थिर चाहत है,
धोती यादों की चादर , ,,
मन में मलिन मलानत है !
करलो मुझसे दो तुम बात !!
आई तम तुषार की रात , ,,
ढूँढूँ लाल तुम कहाँ गए ;
दृग कितने अश्रु बहा गए,
कैसा फैला उलझन जाल, ,,
अब अवसाद हम जहाँ गए !
तूफां का है दीप से घात !!
आई तम तुषार की रात , ,,
वेदना में मौन है आहुति ;
पीर मेरी किससे अछूती ,
रोता साँसों का संगीत !
काश रह जाती मैं निपूती ,
कैसा तरु हूँ मैं बिन पात !!
आई तम तुषार की रात , ,,
रुद्ध हृदय पट खोले कौन ;
मम्मी मम्मी बोले कौन !
मूक पथिक बन सारे देखें ,
जग सारा विस्मय से मौन !
सहन करूँ मैं ये आघात !!
आई तम तुषार की रात , .. ''तनु ''
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