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Monday, September 11, 2017

आई तम तुषार की रात !






बिखरा पड़ा क्षत विक्षत गात ,
कहाँ खो गया मधुमय प्रात ;
जहाँ मधुघट भरते थे निर्झर, 
आई तम तुषार की रात ! 

ममता माँ की आहत है ;
कम्पित अस्थिर चाहत है, 
धोती यादों की चादर , ,,   
मन में मलिन मलानत है !    
करलो मुझसे दो तुम बात !!
आई तम तुषार की रात , ,,

 ढूँढूँ लाल तुम कहाँ गए ;   
 दृग कितने अश्रु बहा गए,
कैसा फैला उलझन जाल, ,, 
अब अवसाद हम जहाँ गए !
तूफां का है  दीप से घात !! 
आई तम तुषार की रात , ,,

 वेदना में मौन है आहुति ;
 पीर मेरी किससे अछूती ,
  रोता साँसों का संगीत !
 काश रह जाती मैं निपूती ,
  कैसा तरु हूँ मैं बिन पात !!
 आई तम तुषार की रात , ,,

रुद्ध हृदय पट खोले कौन ;
मम्मी मम्मी बोले कौन !
मूक पथिक बन सारे देखें ,
जग सारा विस्मय से मौन !
सहन करूँ मैं ये आघात !!
आई तम तुषार की रात , .. ''तनु ''


             







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