उस ज़मी है चाँद कोई कह गया ;
हूँ सोच कर हैरान कोई कह गया !
दूर है जाना और आबला पा हूँ मैं ;
उड़ परिंदों सा ये कोई कह गया !!
मरहले कितने गिनोगे चलते हुए ;
सामने ही मंज़िल कोई कह गया
नेकियाँ कितनी रही दरिया दिल में ;
थी डूबने की चाह कोई कह गया !!
जिसने तपने की हमेशा ठान ली ;
वही तो सूरज है ये कोई कह गया !!.'' तनु ''
No comments:
Post a Comment