वात वात में मति जूतम पैजार करो रे ;
तलवार दुधारी है मति मार करो रे !
चुभे है तोड़े है या मन री सबलता ;
चाशनी सी जबान मति खार करो रे !
सुर थें !!!असुर सरीखी क्यों घात करो हो;
चुप रई ने सुणो-समझो मति रार करो रे !
हर बात पे बन्दूक हर बात पे चक्कू ;
थे धीरज व्रत धारो मति धार करो रे !
रेवा दो गड्या मुर्दा वणाने उठाणो नी ;
भली जान रो जीनो मति दुश्वार करो रे !
जात-पात,सच-झूठ, पापी ने पुण्यात्मा ;
अरे!!! थें पंच वणी मति उद्धार करो रे !!
भगावो तो अणि अज्ञान ने भगावो थें;
बारूद री भट्टी में, मति संसार करो रे !!.
वाचा समाल जो'तनु'घणी वलवल्या करे ;
साणा दाना रो जीवन मति भंगार करो रे .. ''तनु ''
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