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Tuesday, September 12, 2017

तुम







ऋतुराज को संग ले कर 
भुलाये अवसाद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!


वेणी में गुंथे फूल बहुत
चाहते हैं मुस्कुराना
ये सौम्य से नयन दीप
अधरों का ताना बाना
ले किरणों की पाँखियाँ
तुम छुपाये आल्हाद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!

नयन बने मेरे निर्धन
तुम सृष्टि का सृजन धन
नित नित कृपापात्र रहे 
तेरे प्रेम का भिक्षुक मन
मीठी चितवन ड़ाल मुझे
आलोक दिव्य से लाद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!

विधु चाँदनी लगे खोटी
मकरंद मन्मथ से घोटी
लो तारा गण भी बुझ गए
यामिनी थी कितनी छोटी
अब सपने थे पहरे दार 
 खोकर तुम विषाद चली 
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!

सौरभ कैसा हरषाया 
लतिकायें सब झूम उठी 
मदिर श्वास मंद चाल है 
पात सृष्टि भी लूम उठी 
स्वप्नलोक के फूल सजाये 
मन में ले उन्माद चली !
आज नीलम मेघ ले कर 
तुम फूलों के साथ चली !!... ''तनु''

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