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Kaavya
Wednesday, September 6, 2017
एक मोती , ...
कहीं भीतर तक झर चले हर सिंगार ;
मधुमय सुधियों की सम्मोहिनी बयार !
कैसा आलोकित प्लवन मन बींध गया , ,,,
आ ही गयी लौट कर फिर जाती बहार !!... ''तनु''
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