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Wednesday, September 13, 2017

कल्ब





उसमें मुझमें कभी बनी ही नहीं ;
बात ऐसी कभी ठनी ही नहीं !

ढूँढता है सहरा घना बादल ;

आजतक उसकी ख़बर मिली ही नहीं !
              
प्यार का ताना बाना पक्का था ;
इसमें पैबंद कभी लगी ही नहीं !

 जान आफताब पर छिडकना क्यों ??
 चाँद की वहाँ आमदनी ही नहीं !

रख जमीं का पैमान खुदा मेरे ;
आसमां सी जबीं बनी ही नहीं !

तोड़ कड़ियाँ जमीर की जीयूँ ??
टाँग दूँ कल्ब वो अलगनी ही नहीं !

खुश्बुएँ बिखरी है हवाओं ''तनु'';

सुकून -ए -दिल को नागफनी ही नहीं  !!  ''तनु ''

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