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Monday, September 11, 2017

चाँद का आवास ;




मेरी हथेली में दीप नहीं ,  चाँद का आवास ;
थिरकती ललनाएँ ,  अप्रतिम रूप का लास !
उर्मियों को खोजता ये चुपके से आ गिरा, ,,
पूछता है ?? मैं इंदु से दूर या इंदु के पास !!.. ''तनु ''

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