Labels

Thursday, September 7, 2017

नदी


 कहाँ नदी अब   नाले रह गए है;
सुनकर अनसुने नाले रह गए हैं!

उफनती सड़ांध बीमारी का घर;
डसते हैं नाग काले रह गए हैं!

सारा धन खर्चा दिखावे में होता;
काम सफाई के टाले रह गए हैं !

याद ये पुराने दिनों को करती है;
जल गयी, जल के लाले रह गए हैं!

दामन में आकर दुआएँ हैं करते;
वही हाथ कचरा डाले रह गए है!

जमीर बेचा ईमान नियामतें बेचीं;
बेईमान, मरे पानी वाले रह गए हैं!

तुम्हारी रवानी को नजर ही लगी ;
कि सारे बुरी नजर वाले रह गए हैं !.... ''तनु''



No comments:

Post a Comment