अपना मकसूद औ माबूद भूला ,
ये तो मंज़िल तेरी नहीं थी !!
उमीदों का मुंतहा और को बनाया,
ये तो मंज़िल तेरी नहीं थी !!
कैसे रब का नाशुक्रा हुआ तू ,
ये तो मंज़िल तेरी नहीं थी !!
बहकावे और मक्र में उलझा,
ये तो मंज़िल तेरी नहीं थी !!
नफ़्स की ख्वाहिशात औ चाहतें ,
ये तो मंज़िल तेरी नहीं थी !!... ''तनु ''
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