सपने उसके
बेकल मन
बुझती साँसे
चैन खोया है
समय का पंछी
नहीं रुकेगा
कब उगेगा
दाना बोया है
बादल घनेरे
शाम अजब है
छुप गए तारे
चाँद सोया है
कितना अन्धेरा
रात नशीली
काली काली
काजल धोया है
गीत होंठों के
बने कहानी
दुनिया गाये
कोयल गोया है
दर्द दिल का
चमका आँसू
लगता जैसे
सागर रोया है
गुजरा ज़माना
रातें जागीं
दिन रंगे
नयन भिगोया है
खेल समझ कर
खुशियाँ छोड़ी
अनजाने ही
ग़म ढोया है
संग साँस के
दुखो को झेला
नहीं दिखेगा
आँगन धोया है ,... ''तनु ''
No comments:
Post a Comment