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Monday, September 11, 2017

छूने नवगीत ;





नन्हे  सपन को चला छूने नवगीत ;
बूँदों के दर्पण जब छलक गयी प्रीत ! 
डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खोया मनमीत !! 

नन्हे से सपने को छूने चला नवगीत ; 
बूँदों के दर्पण जब छलक गयी प्रीत !
डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खो गया मनमीत !! 

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