नन्हे सपन को चला छूने नवगीत ;
बूँदों के दर्पण जब छलक गयी प्रीत !
डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खोया मनमीत !!
डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खो गया मनमीत !!
नन्हे से सपने को छूने चला नवगीत ;
बूँदों के दर्पण जब छलक गयी प्रीत !डूबी निश्वास से कब उड़ गयी बूँदें , ,,
नभ हो गया धुंधला खो गया मनमीत !!
No comments:
Post a Comment