धर्म में ये कैसी --धुँए की बास
कूपमण्डूकों को कुँए की आस
अगर तगर ना भावे इनको
राजनीति बनी जुए की ख़ास
गुज़रा लम्हा यूँ , धुँआ धुँआ हुआ,
गम और ख़ुशी का था छुआ हुआ !
वक्त आज़ाद पंछी उड़ा उड़ गया,
हर कोई कहे ---- यहाँ जुआ हुआ !!!''तनु''
जादू की पोटली में--- धुँए का बम
छोटी सी ओखली में ,कुँए का भ्रम
मन पर हो काबू इच्छाशक्ति प्रबल
है अंगद का पांव हिलादे जो हो दम
क्या जानों धुँए में--- क्या छुपा छुपा
खंज़र है ------ सीने में जो घुपा घुपा
जलते मंजर, विधवा की चीख
न बोला ना सुना सब चुपा चुपा। ''तनु''
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