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Thursday, August 31, 2017

राम राम रटे है !





थारी चाहत में रातां दुःख री कटे है;                
 हर बख्त लागे जाणे नश्तर 
डटे है !    
           
 अबार तक टीसे है ई जखम हरा है;                        
 जुबां से मति पूछ या तो यूँज नटे है !

आज काल करूँ हूँ भरोसो काल नी ;
जिनगी ने देख या दर रोज घटे है !

जड़ सींचे तना पोषे फूलां से है बहार ;
रोज की मारा मारी हर जीव खटे है!


कसा भी ग़म वे बारे है जीवडो ;
यादां थारी मनवो भारी पूर पटे है !

कदी ''तनु'' याद ऊपरवाला ने कर ;
थारा से  सुओ भलो राम राम रटे है !.. ''तनु ''




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