परवाज , उड़ान
(1 )
पंख क्या परवाज़ क्या ?
कंठ और आवाज़ क्या ?
हौंसले के गीत हैं जोशीले ,
अब राग क्या तूफ़ान क्या ?
(2)
ये बदलते दौर का आग़ाज है ,
उलटी हवाओं में परवाज़ है !
सिर्फ हौंसलों का ही दम नहीं भरते ,
कथनी और करनी पर हमें विश्वास है !!
(3)
उड़ान को है कुछ शेष पल ,
जाग्रत मन के विशेष पल !
पंछी ये फिर उड़ जायेगा ,
न आएगा फिर कल ये पल!!
(4)
नाजुक कोमल पंखों की ,
आँखों में सजे सपनों की !
उड़ान अभी भी बाकी है ,
आहट लेकर अपनों की !!
(5)
पंछी पंख से नाकारा हुआ ,
कुछ पलों में ही बेचारा हुआ !
थे ऊँची उड़ान के हौसले उसके ,
हाय दुर्देव ये क्योंकर हुआ !!
(6)
ऊँची उड़ान का सपना लेकर चलो ,
गैरों को भी साथ लेकर चलो !
अब कोई तूफान न रोक पायेगा ,
बुलंदियों की चाह लेकर चलो !!
(7)
रात का ठिकाना तो कहीं करना है ,
कल तुझको फिर उड़ान भरना है !
आ शरीर को थोड़ी राहत दे दें ,
कल कोई तो काम करना है !!
(8)
मैं ऊँची परवाज़ का दम भरता था
उडता नहीं सिर्फ आह भरता था
अक्सर ये बात गलत होती है
मैं काम नहीं सिर्फ बात करता था
(9 )
मेंरे ''पर'' वाक़िफ हैं ऊँची परवाज़ के ,
चंद वाकये गुजारिश है 'बा'' आदाब के !
मेंरी राहों पे नज़र बनाये रखना ,
कुछ किस्से हैं गोया ''बा' आवाज़ के !!
( 10 )
परवाज़ ही परवाज़ थी बेपरवाही से ,
जिंदगी यूँ ही गुजारी लापरवाही से !
अब ये जिंदगी संवार दे मौला ,
तंग आ गया हूँ इस आवा जाही से !!
(11 )
मेंरी परवाज़ तुम तक ही थी मौला ,
अब करम मुझ पर ही हो मौला !
राह में मेरी गम और बड़ी तन्हाई है ,
आ संवार दे मेरी किस्मत मौला !!
( 12 )
तूफां ने मेरी परवाज़ का रुख मोड़ दिया ,
बहार ओ चमन से बयाबां की तरफ मोड़ दिया !
क्या गम है बसने और उजड़ जाने का ,
तुझ पर ही भरोसा था तूने ही क्यों छोड़ दिया !!
( 13 )
लो उठाई थी कसम ऊँची परवाज़ की ,
अब बन गयी कहानी मेरी परवाज़ की !
क्यूँ हौसले तमाम पस्त हो गए मेरे,
सुन तबाही मेरी परवाज़ की !!………………तनुजा ''तनु ''