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Tuesday, March 18, 2014

कुटिलता ये बंधु की क्या क्या रंग दिखाये
बिन स्वार्थ  के बंधू  क्या  ?  बंधू कहलाये
क्या बंधू कहलाये   रे.. . आस्तीन के सांप
भविष्य क्यों नहीं देखे अपना
दूसरों के सपनों को मिटाने वाला
खुद  ही  खो देता अपना सपना 

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