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Kaavya
Thursday, March 27, 2014
इक नदी की हिलोर बन के आ जाओ ,
कभी तो बहार बन के छा जाओ ,
दामन मेरा खुशियों से क्यों खाली है ?
मेरे मन का करार बन के आ जाओ !!
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