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Monday, March 24, 2014

दायित्व  ……………… 



 दायित्व हमारा मिटटी के लिए ,
 हमें जन्मा है उसके लिए !

अक्षरा धरा अक्षुण्ण रहे ,
ये तन मन है उसके लिए !!

दायित्व नमक के मोल सा ,
दायित्व ख़ुशी के ढोल सा !
सिर्फ कंधे ही नहीं उठाते उसको ,
जीवंत जीवन अनमोल सा !!

दायित्व मांग का सिंदूर है ,
ये झिलमिल होती बिंदिया है !
दायित्व माँ के दूध सा पावन ,
दायित्व कोर काजल की  है !!

है जन जन के प्रबल मन ,
है दायित्व उठा ऊपर उठते मन !
है झुकने वाला भार उठा सकता,
है जीना क्या पलायन वादी बन !!

भोर से संध्या की ओर ,
लगी जीवन से जीवन की डोर !
अथक अनबूझ बूझे पल ,
फिर संध्या से भोर की ओर !! ……………… तनुजा  ''तनु ''



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