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Tuesday, March 25, 2014

प्याला   ............. 

 प्रेम का  प्याला पिया पिया ,
  दुःख निवृत हो जिया जिया ,
  ध्यान धारणा से मिली समाधि ,
  जपूं राम और सिया सिया !!

सूरज ने ओस समेटी बादलों में भर दी !
बादलों ने बरसाई और धरा में भर दी !!
तू ही देता तू  ही लेता ओ ऊपर वाले !
मांगे बिन तूने सबकी झोलियाँ भर दी !!

नैन पियाले आंसू के !
कैसे क्यों ये छलके !!
दिल में कुछ दर्द भरा था !
आया वो भर भर के !!

हूँ भर कर भी रीता रीता ,
अहसान तले क्यूँ कर जीता !
आज तो सारा हिसाब हो जाए ,
मैं मर मर  क्यों  हूँ जीता !!

दुआएं दो कि दामन कम पड़ जाये ,
नियामत इतनी कि झोली भर जाये !
उठा कर ले के चलो भरे प्याले को ,
इक बूंद भी छलक कर गिर न जाये !!

 इक बूंद इक घूँट  में फर्क होता है ,
 पूरी बोतल से क्यूँ गर्क होता है !
 पीने वाला पीकर तमाम हो जाये ,
 ये आब नहीं है ये जहर होता है !

 पीकर वो बहक बहक गए,
 अरमान सारे मचल मचल गए !
 हम न रहे हम  तुम  न रहे तुम अब ,
 न जाने क्यूँ  हम बदल बदल गए !!





















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