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Wednesday, March 26, 2014

क्षणिकाएँ 


धड़कनों से ही   ………  तो सुना !
ख्वाब बिखरने का दर्द  !!
हथेली पे थी सरसों ?
जमी ही नहीं  …………


मैं खुद से लड़ूं या तुझसे ?
तू मन ,
तस्वीर,
पन्नो में..........
कहीं भी नहीं 
खुदा  क्या बतलाये..
खुद के बारे में ... ?


चले तो जाते हैं सब  …
न जाने किस सच की तलाश में !
तुम्हारे पास तो साँसे हैं ?
तुम यहाँ ?
किस सच की
तलाश में  .......... ?


सपनों के रंग .... रंग कहीं ,
पंछी उड़े  …उड़े किसी के संग कहीं  …
शब्दों में बंधे  या चित्रों में ?
छुपा के रख लो पन्नों में कहीं !!


ताजमहल है शाहजहां की आँखों का नूर
कभी दिल में तो कभी पत्थर में दबा
मुमताज का नूर
शाहजहां मुमताज के पास है
शाहजहां नहीं मुमताज़ से दूर  ………


ठहरी ठहरी आँखों में कुछ  स्वपन  से भरे ,
चित्रकार की चित्रकारी में कविता के रंग भरे !!
आज और कल की कश्ती पर सवार हैं सब ,
बीता  कल था आज सामने कमाल रंग हैं भरे !!


दुकानों पर  ……
सामान ,
सड़क पर  ……
आदमी ,
कीमत सामान की ,
आदमी की कीमत  ,
 से ज्यादा है  ………


तेरी मेहर का ही है भरोसा  ,
नियामत तेरी हमेशा से हम पर है ,
तू ही साथ है तू ही साथ है !!!!



सांईं !!
सुमिरिनी फेरी,
 हमने  ……।
 एक !!
एक ही रही,
 एक सौ आठ मोती  !!!


व्यवहार बदलो जग बदलेगा ,
आप खोने से जग हंसेगा !
सच्चा संत है अपना दिल ,
उसके जैसा नहीं मुक़ाबिल !!







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