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Thursday, March 27, 2014

हुआ है  …………


शायद कुछ शोर सा हुआ है ,
जो सुन रहे हैं वो सुना हुआ है,
जब दस बार एक ही खबर सुन ली जाए !
इसलिए तो सब अनसुना हुआ है !!

एक वृक्ष मिटटी में सोया हुआ है ,
एक बीज मिटटी में खोया हुआ है ,
कल अंकुरित होकर पलेगा बढ़ेगा !
ये विधाता का किया हुआ है !!

मेरी नज़रों को आज ये धोख़ा  हुआ है ,
चाँद बादलों में क्यों खोया हुआ है ,
ये यहाँ नहीं तो कहाँ हैं ए दिल !
फिजा ऐसी के मन मचला हुआ है !!

शहर मेरा आज यूँ अंजाना हुआ है ,
कोई मेरा आज बेगाना हुआ है ,
सीमेंट  कांक्रीट के इस जंगल में !
एक पंछी का नीड़ उजड़ा हुआ है !!


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