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Tuesday, March 11, 2014

बन आसमां  सा…


तू.………… 
लक्ष्य ठान !
बन सिंदूरी
स्वर्णिम आभा सा ,
तू  ………
हो के नीलाभ!
बन शीतल,
शीतल ………
अहसास जगाता सा ,
तू ………
गगन चमकीला बन.
कठोर
तपस्वी योगी सा,
तू ..........
घन काला बन,
दे सुकून !
धरणी को.………
बना आँचल को छाया सा,
तू …
बिजली बन,
कड़क गड़गड़ा !
 गिर ……
आतताइयों पर वज्र सा,
तू  ……
तारों निशिकर से,
सुसज्जित हो !
शीतल,
चांदनी बरसा बन,
अमृत कलश सा,
ले  …
ले सारे रंग,
आसमां
तुझे सरसाता है !
तू भी बन,
अब देव देव सा !!  तनुजा  ''तनु ''      28  06  1983 

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