Labels

Monday, March 24, 2014

ज़ख़म


जख्म में दर्द भी है , जख्म में रोना भी है
जख्म में पाना भी है  , जख्म में खोना भी है
आ तू आकर पुराने ज़ख्मों को हरा कर दे ,
सूख कर रिसना भी है , रिस कर सूखना भी है !! .......... तनुजा ''तनु ''

No comments:

Post a Comment