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Wednesday, March 19, 2014


पिता …………… 

पिता ,
और
पिता के पिता को भी
  सदा
ऐसा ही देखा।
भाल पर थी चमक !
अद्भुत चमक !!
न कोई शिकन ,
कोई रेखा !
सदा मेहनती ,
सदा ही कर्मठ !
दिन भर के थके!
कभी न रुके !
पसीने की बूंदें !
रह रह के टपके!!
  पाकर   ………
हमारे चेहरे की ख़ुशी ,
  उनकी ,
फैली आँखों में !
तैयारी कल की ,
सुकून दिल का !
जुटाने कल
नीड़ का तिनका  !! ............. तनुजा ''तनु '' 07 09 2012



पिता मुंह का कौर खिलाते  ..
गर्मिली थपकी थपकाते।
हैं तो सारे ग़म भुलाते  …
न हो तो एहसास दिलाते।  
हम पथिक हैं डगर कठिन है ..
पिता हमको राह दिखाते ……………तनुजा ''तनु''  07 09 2012





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