पिता ……………
पिता ,
और
पिता के पिता को भी
सदा
ऐसा ही देखा।
भाल पर थी चमक !
अद्भुत चमक !!
न कोई शिकन ,
कोई रेखा !
सदा मेहनती ,
सदा ही कर्मठ !
दिन भर के थके!
कभी न रुके !
पसीने की बूंदें !
रह रह के टपके!!
पाकर ………
हमारे चेहरे की ख़ुशी ,
उनकी ,
फैली आँखों में !
तैयारी कल की ,
सुकून दिल का !
जुटाने कल
नीड़ का तिनका !! ............. तनुजा ''तनु '' 07 09 2012
पिता मुंह का कौर खिलाते ..
गर्मिली थपकी थपकाते।
हैं तो सारे ग़म भुलाते …
न हो तो एहसास दिलाते।
हम पथिक हैं डगर कठिन है ..
पिता हमको राह दिखाते ……………तनुजा ''तनु'' 07 09 2012
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