समंदर आँख का सूखा कैसे ?
दिल के जजबात हुए धुंआ कैसे ?
उड़ते बादलों के पार घर था मेरा ,
बना शंपाओं का घर कैसे ?
ख़ुशी में जो दो आंसू बह निकले ,
लक्ष्य को पाने ख़ुशी में चल निकले ,
इरादे नेक हों लक्ष्य पाना कठिन नहीं !
कारवां बन गया साथ हम चल निकले !!
आंसू पोंछने की हिम्म्त नहीं ,
सुनों ! तो जीना भी जरुरी नहीं !
उठालो कुछ कर गुजरने की कसम !
गया वक्त फिर आयेगा नहीं !!
दिल के जजबात हुए धुंआ कैसे ?
उड़ते बादलों के पार घर था मेरा ,
बना शंपाओं का घर कैसे ?
ख़ुशी में जो दो आंसू बह निकले ,
लक्ष्य को पाने ख़ुशी में चल निकले ,
इरादे नेक हों लक्ष्य पाना कठिन नहीं !
कारवां बन गया साथ हम चल निकले !!
आंसू पोंछने की हिम्म्त नहीं ,
सुनों ! तो जीना भी जरुरी नहीं !
उठालो कुछ कर गुजरने की कसम !
गया वक्त फिर आयेगा नहीं !!
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