सुप्रभात
अरुणिम रंग सा कुमकुम लेकर ,
करती धरा स्वागत भोर का !
रजनी छुड़ा कर गई है आँचल ,
चन्दा प्रीतम चितचोर का !!
सूर्य बिना पके न अन्न ,
चन्द्र बिना शीतलता खिन्न !
सूर्य बिना न कर्मठ जीवन ,
चन्द्र बिना क्षोभित है मन !!
चन्द्र शरारती हठी बच्चा ,
अपनी चोरी छुपाने में कच्चा !
नित नित बदले रूप कई ,
सूरज को दे न पाता गच्चा !!
दिवाकर शिखर अचल से फिसल गोद अचला की पाओ !
धरती अम्बर कभी नहीं मिलते ये बात झुठला जाओ !!
नहीं जानते ? धरा बिन तुम्हारे नहीं सुसज्जित होती !!!
हरित भूमि रंगीन प्रकृति गुन गुन गुन भौंरों गाओ !!!!
तनुजा ''तनु'' 02- 07- 1989 ……
सूर्य बिना पके न अन्न ,
चन्द्र बिना शीतलता खिन्न !
सूर्य बिना न कर्मठ जीवन ,
चन्द्र बिना क्षोभित है मन !!
चन्द्र शरारती हठी बच्चा ,
अपनी चोरी छुपाने में कच्चा !
नित नित बदले रूप कई ,
सूरज को दे न पाता गच्चा !!
दिवाकर शिखर अचल से फिसल गोद अचला की पाओ !
धरती अम्बर कभी नहीं मिलते ये बात झुठला जाओ !!
नहीं जानते ? धरा बिन तुम्हारे नहीं सुसज्जित होती !!!
हरित भूमि रंगीन प्रकृति गुन गुन गुन भौंरों गाओ !!!!
तनुजा ''तनु'' 02- 07- 1989 ……
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