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Thursday, April 17, 2014

सुप्रभात



अरुणिम रंग सा कुमकुम लेकर ,

करती धरा स्वागत भोर का !

रजनी छुड़ा कर गई है आँचल ,

चन्दा प्रीतम चितचोर का !!



सूर्य बिना पके न अन्न ,

चन्द्र बिना शीतलता खिन्न !

सूर्य बिना न कर्मठ जीवन ,


चन्द्र बिना क्षोभित है मन !!




चन्द्र शरारती हठी बच्चा ,

अपनी चोरी छुपाने में कच्चा !


नित नित बदले रूप कई ,

सूरज को दे न पाता गच्चा !!



दिवाकर शिखर अचल से फिसल गोद अचला की पाओ !

धरती अम्बर  कभी नहीं मिलते ये बात झुठला जाओ !!

नहीं जानते ? धरा बिन तुम्हारे नहीं सुसज्जित होती !!!

हरित भूमि रंगीन प्रकृति गुन गुन गुन  भौंरों गाओ !!!! 

 तनुजा ''तनु'' 02- 07- 1989 …… 




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