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Sunday, April 13, 2014

धुंआं उठता है या बात उठती है !
उठकर बादलों में गुम हो जाती है !!
कभी ये थीं ओस की बूंदें ,
अब ये ज़हर बन के बरस जाती हैं !! तनुजा ''तनु ''


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