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Saturday, April 12, 2014

रूह कांप जाती है दर्द बिखर जाता है !
अंजाना अनचाहा सा कहीं कोई मर जाता है !!
हर कोई चल रहा बनाये फ़ासला लेकिन ,
चोट लग ही जाती है घाव हो ही जाता है !! ''तनूजा तनु ''


माय से काँपि जावा हां दरद विखरी जावे है !
अणजाणी अणचाही पीर उभरी आवे है !!
छेटी राखी ने सगरा चाले है !
मार लागि ई जावे है जख़म वई ई जावे है !!

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