आज प्रकृति का रूप अनोखा .............
नटराज !!!
नृत्यरत हैं ....
शीश से बहे गंग तरंग !
अर्ध चन्द्र हैं जटा जूट में ,
हरित वर्ण की गिरि श्रृंखला .......
बह्म ज्ञान उंडेले धरा यहाँ !!
द्वैत अद्वैत के मध्य खड़ा है !!
ब्रह्म ज्ञान का साधक अड़ा है !!
ज्ञान गंगा हुई समाहित.............
साधक के प्याले में ज्ञान भरा है !!!!! तनुजा ''तनु ''
waah.. aapko naman hai..
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