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Friday, April 4, 2014

साहित्य में जब धर्म का अहं होता है
जातिवाद की टीस वंश दम्भ होता है
राजनीति भी उतर समा जाती पन्नों में
 राष्ट्र के लिए  ये खतरे का समय होता है 

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