मैं पुरुष !!!
मैं क्या बतलाऊं …
मैं पूरा ही तुम्हारा !
जग हार जीवन हारा …।
कहलाता पति तुम्हारा !!!
मेरी हथेलियाँ कर्मठ हैं ,
सुगन्धित तुम्हारी हथेलियों की ,
मेहंदी से !!!
चुनरी तुम्हारे सर की ,
छाया मेरी कर्मभूमि की !!!
सिन्दूर बिंदिया नथनी सब ,
आधार बनते मेरे जीवन का …
जब तुम रहती सज धज के !
तो मैं खुश रह पाता हूँ ,
जब आशीष तुम्हे मिलता !
सदा सुहागन का ....
तब मैं फूला नहीं समाता हूँ !!!
दिन दिन दूना कर्म करुं मैं ,
यह मेरे मन आता !
न लजाये दूध माँ का ,
न लजाये कोख का नाता !!
मंगलसूत्र चूड़ियाँ पैजन ....
इन पर ही तो मैं इतराता !!
इसीलिए तो मैं तुम्हारा …
पति कहलाता !!! ................... तनुजा '' तनु ''
मैं क्या बतलाऊं …
मैं पूरा ही तुम्हारा !
जग हार जीवन हारा …।
कहलाता पति तुम्हारा !!!
मेरी हथेलियाँ कर्मठ हैं ,
सुगन्धित तुम्हारी हथेलियों की ,
मेहंदी से !!!
चुनरी तुम्हारे सर की ,
छाया मेरी कर्मभूमि की !!!
सिन्दूर बिंदिया नथनी सब ,
आधार बनते मेरे जीवन का …
जब तुम रहती सज धज के !
तो मैं खुश रह पाता हूँ ,
जब आशीष तुम्हे मिलता !
सदा सुहागन का ....
तब मैं फूला नहीं समाता हूँ !!!
दिन दिन दूना कर्म करुं मैं ,
यह मेरे मन आता !
न लजाये दूध माँ का ,
न लजाये कोख का नाता !!
मंगलसूत्र चूड़ियाँ पैजन ....
इन पर ही तो मैं इतराता !!
इसीलिए तो मैं तुम्हारा …
पति कहलाता !!! ................... तनुजा '' तनु ''
No comments:
Post a Comment