उदधि का उद्दाम आकर्षण रहा मार्तण्ड को अपने बीच !
आल्हादित हो लहरें उठ कर लेंगी मानों गोद में खींच !!
धीमें धीमें ये खेल दिनमणि और लहरों का हुआ ,
थकन तपिश दूर हुई फिर दिनमणि आये दुनिया बीच !!!! "तनु "
बादलों में देखूं तो तुम हो !
बादलों के पार भी तुम हो !!
मैं आँख बंद भी करलूं ,
आँख में बादल में तुम हो !!…"तनु ''
आल्हादित हो लहरें उठ कर लेंगी मानों गोद में खींच !!
धीमें धीमें ये खेल दिनमणि और लहरों का हुआ ,
थकन तपिश दूर हुई फिर दिनमणि आये दुनिया बीच !!!! "तनु "
बादलों में देखूं तो तुम हो !
बादलों के पार भी तुम हो !!
मैं आँख बंद भी करलूं ,
आँख में बादल में तुम हो !!…"तनु ''
No comments:
Post a Comment