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Monday, April 21, 2014

उदधि का उद्दाम आकर्षण रहा मार्तण्ड को अपने बीच  !
आल्हादित हो लहरें उठ कर  लेंगी मानों गोद में खींच !!
धीमें  धीमें  ये खेल दिनमणि और लहरों का हुआ ,
थकन तपिश दूर हुई फिर दिनमणि आये दुनिया बीच !!!!  "तनु "


 बादलों में देखूं तो तुम हो !
 बादलों के पार भी तुम हो !!
 मैं आँख बंद भी करलूं ,
आँख में बादल में तुम हो !!…"तनु ''

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