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Thursday, April 10, 2014

परिंदा 

मैं परिंदा प्यार का ,
गीत का अशआर का !
मीठी आवाज़ से मन सरसाऊँ ,
संदेसा लाऊँ बहार का !!

परिंदे का है शाख से नाता ,
परिंदा शाख से है गाता !
इसे न पिंजरे में कैद करो तुम ,
हमसे रूठ जाएगा विघाता !!

उड़ कर गाऊँ ची ची ची धुन ,
दूर करूँ जीवन से औगुन !
छोटा सा प्यार सा जीवन ,
बजती रहे सदा रून झुन !

पहले कभी घरों में दिखती थी गौरैया ,
अब भी कहीं घरों में दिखती है गौरैया !!
सीमेंट टावरों के जंगल बढ़ जाने से ,
शायद ही अब कहीं दिखेगी गौरैया !!





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