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Tuesday, April 8, 2014

यहाँ जो भी है आता ,
देने लेने का है नाता !
जनम जनम के लिये दिये की,
यह है भरपाई भ्राता !!

हम कहते भूल जाओ ,
उनको कहते याद न आओ !
है यह विधाता की पहेली !
कितना मन समझाओ !! तनुजा ''तनु ''

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