विस्तार दे रही दिशाएं नाद को,
कर दो दूर ह्रदय से विषाद को।
प्रफुल्लित गात से नृत्यरत हो पा रहे ,
अंतरतम के प्राणपण आल्हाद को !!तनूजा ''तनु ''
कर दो दूर ह्रदय से विषाद को।
प्रफुल्लित गात से नृत्यरत हो पा रहे ,
अंतरतम के प्राणपण आल्हाद को !!तनूजा ''तनु ''
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