Labels

Tuesday, April 8, 2014

विस्तार दे रही दिशाएं नाद को,
कर दो दूर ह्रदय से विषाद को।
प्रफुल्लित गात से नृत्यरत हो पा रहे ,
अंतरतम के प्राणपण आल्हाद को !!तनूजा ''तनु ''

No comments:

Post a Comment