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Tuesday, April 29, 2014

फिर  .... 
नयनों में दौड़ गया ,
वो दादी का ग़ाँव !
मोगजी का कुँआ , 
वो पीपल क़ी छाँव  !!
पहले दादी की थी ये कहानी ,
फिर पापा की बनी कहानी
 है यह आप बीती नहीं सुनी सुनाई !
ऐसी ही कहानी है ये सब पर बीते भाई  !!
जगत की रीत यही है ,
यही सब होता आया !
ख़ुशी ख़ुशी मैंने इसको ,
इसलिए दोहराया ,
क्योंकि सठियाने का ,
अब मेरा जमाना आया !!!!!!!!!!!   तनुजा " तनु ''


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