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Saturday, April 26, 2014

वैसे तो इन शब्दों के अर्थ बड़े गूढ़ और विस्तृत हैं.....   इनकी विवेचना हर किसी के बस  की बात नहीं .......  अरुणिमा से लेकर  …   निशा रानी के आ जाने तक की दिनचर्या को  ……  इन गूढ शब्दोँ में इस मुक्तक में पिरोया  है  ……....... .............



ऊषा लेकर  'ज्ञान गंगा'  उतारे आरती .... .... ''साम''  की !
दिन को आगे खेता दिनकर आस जताय…....  ''दाम'' की !!
सधे चलो कर्म से संध्या तक डर कर ईष्ट के.....   ''दंड'' की !
रात स्वर्ग सी सुहानी रहे स्वर्णिम जीवन के …    ''भेद'' की !!……… तनुजा ''तनु ''

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