वैसे तो इन शब्दों के अर्थ बड़े गूढ़ और विस्तृत हैं..... इनकी विवेचना हर किसी के बस की बात नहीं ....... अरुणिमा से लेकर … निशा रानी के आ जाने तक की दिनचर्या को …… इन गूढ शब्दोँ में इस मुक्तक में पिरोया है ……....... .............
ऊषा लेकर 'ज्ञान गंगा' उतारे आरती .... .... ''साम'' की !
दिन को आगे खेता दिनकर आस जताय….... ''दाम'' की !!
सधे चलो कर्म से संध्या तक डर कर ईष्ट के..... ''दंड'' की !
रात स्वर्ग सी सुहानी रहे स्वर्णिम जीवन के … ''भेद'' की !!……… तनुजा ''तनु ''
ऊषा लेकर 'ज्ञान गंगा' उतारे आरती .... .... ''साम'' की !
दिन को आगे खेता दिनकर आस जताय….... ''दाम'' की !!
सधे चलो कर्म से संध्या तक डर कर ईष्ट के..... ''दंड'' की !
रात स्वर्ग सी सुहानी रहे स्वर्णिम जीवन के … ''भेद'' की !!……… तनुजा ''तनु ''
No comments:
Post a Comment