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Friday, April 25, 2014

मैं जलता सा.... सूखा वृक्ष हूँ  !
प्रीत तुम्हारी बिन अधूरा हूँ  !!
तुम श्वेत बादल बन छा जाओ !
कितने  ?  जीवन मैं तरसा हूँ !! तनुजा ''तनु ''



चित्र ; अशोक कुमार विश्वकर्मा जी के पटल से साभार 





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