बिटिया
सजाने सपनों को चली, मैं साजन के द्वार;
एक बाबुल और है, इस देहरी के पार!
सलोने सपनों की चाह के प्रीत भी मनमीत भी , ,,
आँचल की छाया भी, जो दुखों से लेती उबार !!, ..''तनु ''
नन्ही निराश ना होना खो बाबुल का द्वार !
एक बाबुल और है -------इस देहरी के पार !!
सपने तुम्हारे सजे सुन्दर कामनाएं हों पूरी !
स्नेहिल आशीष बरसे साथ बाबुल का प्यार !!तनुजा ''तनु ''
बाबुल
देहरी पार विदेश में, इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!
जब तुम गुड़िया नन्ही थी ;
मेरे सपनों की तितली थी !
मीठी भोली बातें थी ;
रिम झिम सी बरसातें थी !
नहीं चाह पंखों को तेरे ,
कोई नोचे या रंग उड़े !!
सजा सपनों काआँगन,फूल उगाये हैं हर बार !
घने वट की छाया में, सींच स्नेह से बारम्बार !!..
देहरी पार विदेश में, इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!
खूब पढ़ाया योग्य बनाया ;
गुण अवगुण का भेद बताया !
उजाले ही दिए राह में ,
चाह न ,कांटे कभी राह में !
संस्कारों की देकर धूप ,
सँवारा तुम्हारा रूप अनूप !!
जब तुम पहुँचो पी के द्वार,अलौकिक हो तुम्हारा श्रृंगार !
कोमल तन मज़बूत जिया ले, निरखो सुंदर सा घर बार !!
देहरी पार विदेश में, इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!
ख्वाब एक जीवन का मेरे ;
आसविश्वास सकल सुख तेरे !
विकल मन करूँ तुझे विदा ,
शायद बाबुल की यही खता !!
हर बेटी जाती ससुराल !
शुभकर्मों से करे निहाल !!
दे दुआएँ करता विदा , सुखी सदा तेरा संसार !
स्नेह आशीष सदा बरसे, साथ दो बाबुल का प्यार !!
देहरी पार विदेश में, इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!
जीवन की यही है रीत ;
साजन संग सजनी की प्रीत !
प्रीत निभाना मेरी बिटिया,
रीत निभाना मेरी बिटिया !
स्वर्ग बनाना आँगन को !
महकाना उस गुलशन को !!
मधुमय प्रीत की वर्षा हो, आशीष यही है बारम्बार !
जीवन फूलों से सरसा हो, सपने सारे हों साकार !!
देहरी पार विदेश में, इक है बाबुल का द्वार !
नन्ही तुम निराश ना होना खो बाबुल का प्यार !!,... तनुजा ''तनु ''