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Kaavya
Saturday, May 31, 2014
कंत की आस ज्यों अलख जगाये,
कंत बिना रास क्यों कलप जगाये !
रह रह जोऊँ राह रह अकेली बिरहाकुल ,
कंत बिना हास श्रृंगार तल्ख़ जगाये !! तनुजा ''तनु ''
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